चमत्कार! विकराल रौद्र रुप होते हुए भी नहीं डुबा पा रही ब्यास नदी, पंचवक्त्र मंदिर
ब्यास के रौद्र प्रवाह के बीच मंडी शहर का प्राचीन पंचवक्त्र महादेव मंदिर चट्टान की तरह डटा रहा. इस चमत्कार ने लोगों को अचंभे में डाल दिया.
- मंडी का पंचवक्त्र महादेव मंदिर पिछले साल बाढ़ में लबालब भर गया था.
- जुलाई 2023 में जलभराव के दौरान मंदिर का दरवाजा तक नहीं खुल पा रहा था.
- इस साल ब्यास नदी का प्रचंड प्रवाह मंदिर की परिक्रमा करता रहा, लेकिन अंदर नहीं जा पाया.
- 16वीं सदी में बने इस मंदिर को श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक माना जाता है.
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में जब आसमान से आफत बरसी और ब्यास नदी विकराल रूप में उफान पर आई, तब भी एक चमत्कार ने लोगों को अचंभे में डाल दिया. ब्यास के रौद्र प्रवाह के बीच मंडी शहर का प्राचीन पंचवक्त्र महादेव मंदिर, चट्टान की तरह डटा रहा. इस बार नदी की जलधारा मंदिर की परिक्रमा करते हुए निकल गई, लेकिन अंदर प्रवेश न कर सकी.
ये वही पंचवक्त्र मंदिर है, जो जुलाई 2023 की तबाही में पानी से लबालब भर गया था. उस वक्त मंदिर का दरवाजा तक नहीं खुल पा रहा था और अंदर केवल नंदी बैल के सींग ही नजर आते थे. मंदिर का अंदरूनी हिस्सा पूरी तरह सिल्ट से भर गया था और मंदिर तक जाने वाला पुल ब्यास की धार में बह गया था. पानी उतरने के तीन दिन बाद जब मंदिर पूरी तरह प्रकट हुआ, तो श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गई थीं.
इस बार बारिश की रफ्तार और ब्यास का वेग फिर डराने वाला रहा. पंडोह डैम का जलस्तर खतरे के निशान 2941 फीट के बेहद करीब 2922 फीट तक पहुंच गया. बीती रात डेढ़ लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया.
10 जुलाई 2023 को पंचवक्त्र मंदिर का ऐसा था हाल
मंदिर में साक्षात भगवान शिव का वास!
ब्यास की लहरें पूरे शहर में घुस आईं और जगह-जगह जलभराव हो गया, लेकिन पंचवक्त्र मंदिर एक बार फिर 'अडिग शिव की उपस्थिति' का प्रतीक बनकर खड़ा रहा. स्थानीय लोग इसे भगवान शिव की कृपा का चमत्कार मानते हैं. उनका कहना है कि इस मंदिर में साक्षात शिव का वास है, तभी हर संकट में ये मंदिर अडिग रहता है. ये मंदिर ब्यास और सुकेती नदियों के संगम पर स्थित है, जहां इसकी स्थिति सबसे अधिक जोखिम भरी मानी जाती है.
1 जुलाई 2025 को पंचवक्त्र मंदिर का हाल
16वीं सदी का प्रसिद्ध मंदिर
पंचवक्त्र महादेव मंदिर का निर्माण 16वीं सदी में राजा अजबर सेन ने करवाया था. भूतनाथ और त्रिलोकीनाथ मंदिरों की शैली में बना यह शिव मंदिर मंडी की पहचान है, जहां देश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंडी जाने वाला लगभग हर शिवभक्त इस मंदिर के दर्शन किए बगैर नहीं लौटता. इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह सिर्फ मंदिर नहीं, बल्कि आस्था का वो चट्टान है जो हर बाढ़ को परिक्रमा करा देती है, लेकिन अपनी जड़ों पर अडिग रहता है.
मंडी में फिर प्रकृति का प्रकोप
मंडी में बीते कुछ दिनों में बादल फटने की घटनाओं ने मंडी को बुरी तरह हिलाकर रख दिया. गोहर, करसोग, थुनाग और धर्मपुर में 7 जगह बादल फटे. अकेले गोहर में 9 लोग बह गए. जलप्रलय में कई मकान ध्वस्त हो गए. संघोल में 24 घंटे में 223.6 मिमी बारिश दर्ज की गई. मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने अब तक 500 करोड़ रुपये से अधिक नुकसान का अनुमान जताया है.
NDRF और SDRF की टीमें राहत और बचाव में जुटी हैं. प्रशासन का दावा है कि अब तक मंडी में 278 लोगों समेत कुल मिलाकर 332 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है. हालांकि इस प्राकृतिक आपदा के बीच पंचवक्त्र मंदिर ने लोगों को फिर भरोसे और आस्था का नया संबल दे दिया है.
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