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🚩🌞 सुप्रभातम् 🌞🚩
📜««« आज का पंचांग »»»📜
कलियुगाब्द........................5126
विक्रम संवत्.......................2081
शक संवत्...........................1946
रवि...............................उत्तरायण
मास.................................बैशाख
पक्ष....................................कृष्ण
तिथी....................................षष्ठी
प्रातः 07.04 पर्यंत पश्चात सप्तमी
सूर्योदय......प्रातः 05.55.49 पर
सूर्यास्त .....संध्या 06.53.26 पर
सूर्य राशि..............................मेष
चन्द्र राशि..............................धनु
गुरु राशि...............................मेष
नक्षत्र..........................उत्तराषाढ़ा
रात्रि 04.01 पर्यंत पश्चात श्रवण
योग...................................साध्य
रात्रि 10.14 पर्यंत पश्चात शुभ
करण................................वणिज
प्रातः 07.04 पर्यंत पश्चात विष्टि
ऋतु.......................(माधव) वसंत
दिन...............................मंगलवार
🇬🇧 आंग्ल मतानुसार :-
30 अप्रैल सन 2024 ईस्वी ।
⚜️ अभिजीत मुहूर्त :-
दोप 11.58 से 12.49 तक ।
👁🗨 राहुकाल :-
दोप 03.36 से 05.13 तक ।
☸ शुभ अंक....................3
🔯 शुभ रंग...................लाल
🌞 उदय लग्न मुहूर्त :-
मेष
05:05:37 06:46:26
वृषभ
06:46:26 08:45:02
मिथुन
08:45:02 10:58:45
कर्क
10:58:45 13:14:55
सिंह
13:14:55 15:26:43
कन्या
15:26:43 17:37:23
तुला
17:37:23 19:52:01
वृश्चिक
19:52:01 22:08:11
धनु
22:08:11 24:13:47
मकर
24:13:47 26:00:54
कुम्भ
26:00:54 27:34:26
मीन
27:34:26 29:05:37
🚦 दिशाशूल :-
उत्तरदिशा - यदि आवश्यक हो तो गुड़ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें ।
✡ चौघडिया :-
प्रात: 09.10 से 10.46 तक चंचल
प्रात: 10.46 से 12.23 तक लाभ
दोप. 12.23 से 01.59 तक अमृत
दोप. 03.35 से 05.12 तक शुभ
रात्रि 08.12 से 09.35 तक लाभ ।
📿 आज का मंत्र :-
।। ॐ पंचमुखाय नमः ।।
📯 संस्कृत सुभाषितानि :-
श्रीमद्भगवतगीता (षष्ठोऽध्यायः - आत्मसंयमयोग:) -
यदा हि नेन्द्रियार्थेषु न कर्मस्वनुषज्जते।
सर्वसंकल्पसंन्यासी योगारूढस्तदोच्यते॥६-४॥
अर्थात :
जिस काल में वह न तो इन्द्रियों के भोगों में और न कर्मों में ही आसक्त होता है, उस काल में सभी संकल्पों के त्यागी पुरुष को योग में स्थित कहा जाता है॥4॥
🍃 आरोग्यं :-
सौंफ की उपयोगिता:-
1. सौंफ का रस दही के साथ मिलाकर हर रोज 2-3 बार सेवन करने अधिक भूख पर रोक लगती है।
2. सौंफ पीसकर प्रतिदिन सुबह पानी के साथ सेवन से पेट सम्बंधित सभी रोगो के लिए लाभकारी हैं।
3. बदहजमी होने पर सौंफ को उबालकर छान कर गुनगुना ठंडा करके पीने से गैस एवं बदहजमी दूर होती है।
4. सौंफ को पीसकर सिर पर लेप कने से सिर दर्द, गर्मी व चक्कर आना शांत होता है।
5. सौंफ के पत्तों का रस पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से पसीना आने लगता है।
⚜ आज का राशिफल :-
🐏 राशि फलादेश मेष :-
(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)
दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार में लाभ होगा। निवेश शुभ रहेगा। संतान पक्ष से आरोग्य व अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। हानि संभव है। भाइयों का साथ मिलेगा।
🐂 राशि फलादेश वृष :-
(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। परिवार व मित्रों के साथ समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। शारीरिक कष्ट संभव है, सावधान रहें। निवेश शुभ रहेगा। तीर्थयात्रा की योजना बन सकती है।
👫 राशि फलादेश मिथुन :-
(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)
व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। बजट बिगड़ेगा। दूर से शोक समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें। किसी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। भागदौड़ रहेगी। बोलचाल में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। पुराना रोग उभर सकता है। व्यापार में अधिक ध्यान देना पड़ेगा। जोखिम न उठाएं।
🦀 राशि फलादेश कर्क :-
(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
कष्ट, भय, चिंता व तनाव का वातावरण बन सकता है। जीवनसाथी पर अधिक मेहरबान होंगे। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में अनुकूलता रहेगी। लाभ में वृद्धि होगी। पारिवारिक प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यय होगा। मित्रों से मेलजोल बढ़ेगा। नए संपर्क बन सकते हैं। धनार्जन होगा।
🦁 राशि फलादेश सिंह :-(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)
तरक्की के अवसर प्राप्त होंगे। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। मित्रों के साथ बाहर जाने की योजना बनेगी। रोजगार प्राप्ति के योग हैं। परिवार व स्नेहीजनों के साथ विवाद हो सकता है। शत्रुता में वृद्धि होगी। अज्ञात भय रहेगा। थकान महसूस होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
💁♀️ राशि फलादेश कन्या :-(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
यात्रा सफल रहेगी। शारीरिक कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। नई योजना बनेगी। लोगों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। काफी समय से अटके काम पूरे होने के योग हैं। भरपूर प्रयास करें। आय में मनोनुकूल वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा।
⚖ राशि फलादेश तुला :-(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेने की स्थिति बन सकती है। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। व्ययसाय लाभप्रद रहेगा। कार्य पर ध्यान दें।
🦂 राशि फलादेश वृश्चिक :-(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
कोई राजकीय बाधा हो सकती है। जल्दबाजी में कोई भी गलत कार्य न करें। विवाद से बचें। काफी समय से अटका हुआ पैसा मिलने का योग है, प्रयास करें। यात्रा लाभदायक रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। वस्तुएं संभालकर रखें।
🏹 राशि फलादेश धनु :-(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
किसी की बातों में न आएं। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। अचानक लाभ के योग हैं। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। व्यापार में वृद्धि से संतुष्टि रहेगी। नौकरी में जवाबदारी बढ़ सकती है। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। उत्साह से काम कर पाएंगे।
🏹 राशि फलादेश मकर :-(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
परिवार की आवश्यकताओं के लिए भागदौड़ तथा व्यय की अधिकता रहेगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में विशेष सावधानी की आवश्यकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। कार्य की गति धीमी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। निवेश करने का समय नहीं है। नौकरी में मातहतों से अनबन हो सकती है, धैर्य रखें।
राशि फलादेश कुंभ :-(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)
जोखिम व जमानत के कार्य टालें। शारीरिक कष्ट संभव है। व्यवसाय धीमा चलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी की नाराजी झेलनी पड़ सकती है। परिवार में मनमुटाव हो सकता है। सुख के साधनों पर व्यय सोच-समझकर करें। निवेश करने से बचें। व्यापार ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा।
🐠 राशि फलादेश मीन :-
किसी अपरिचित की बातों में न आएं। धनहानि हो सकती है। थोड़े प्रयास से ही काम सफल रहेंगे। मित्रों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे।
☯ आज मंगलवार है अपने नजदीक के मंदिर में संध्या 7 बजे सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ में अवश्य सम्मिलित होवें |
।। 🐚 शुभम भवतु 🐚 ।।
आज के विचार
भोर की भावना.......
"शरीर" कभी भी पूरा "पवित्र" नहीं हो सकता फिर भी सभी इसकी "पवित्रता" की कोशिश करते रहते है !
"जीवात्मा पवित्र" हो सकता है मगर अफसोस कोई "कोशिश" नहीं करता..!
जीवात्मा जब तक इस शरीर में रहता है तब तक शरीर अपवित्र हो ही नहीं सकता है जिस क्षण जीवात्मा शरीर का साथ छोड़ देता है,ठीक उसी क्षण यह शरीर अपवित्र हो जाता है।उसके बाद इस शरीर को लोग छूने से डरने लगते हैं और कोई इस शरीर को देखना नहीं चाहते हैं और यदि कोई इस शरीर को स्पर्श कर देते हैं तो पांच बार साबुन से हाथ को धोते हैं।इस शरीर में मन जब तक रहता है तब तक सब साथ में बैठते हैं,हाथ मिलाते हैं शरीर से शरीर स्पर्श करते हैं उस समय इस शरीर से कोई नहीं डरते हैं हंसते हुए सबके साथ रहते हैं और सबसे प्यार मुहब्त बना रहता है।कोई पराया नहीं दिखाई देता है सब अपना दिखाई देता है। लेकिन जिस क्षण मन निकल…
आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचरा प्राणाः शरीर गृहं ।
पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः ।।
सञ्चारः पदयो प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो ।
यद्यतकर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम् ।।
अर्थ 👉 हे शभुं ! तुम मेरी आत्मा हो । बुद्धि पार्वती हैँ । प्राण आपके गण हैँ । शरीर आपका मन्दिर है । सभी विषय भोगोँ की रचना आपकी पूजा है । निद्रा समाधि है । मेरा हलन चलन आपकी परिक्रमा है । मेरे सभी शब्द आपके स्तोत्र हैँ । इस भाँति मेरी सभी क्रियाएँ आपकी आराधनारुप बनेँ ।।
💐मानव मन💐
🚩🌺मानव मस्तिष्क की तुलना कई चीजों से की गई है। इसे जलाशय, गहरा गड्ढा कहा गया है और गीता में एक स्थान पर इसकी तुलना वायु से की गई है। हालाँकि सभी उपमाएँ अपूर्ण और कभी-कभी भ्रामक होती हैं, मन की तुलना बढ़ती लहरों के समुद्र से की जा सकती है। जिस प्रकार विभिन्न नदियों का जल समुद्र में गिरता है और उसकी झागदार लहरों के जल में मिल जाता है, उसी प्रकार विभिन्न इंद्रियों के प्रभाव और अनुभव मन के विशाल समुद्र में अपने आप प्रवाहित हो जाते हैं। जिस प्रकार चंद्रमा के आकर्षण से समुद्र का जल ऊपर या नीचे उठता है, उसी प्रकार विषयों के आकर्षण से मन की इच्छाएं और वासनाएं बढ़ती या घटती हैं और जैसे समुद्र का जल वाष्पित हो जाता है और बादल बनकर वर्षा के रूप में पृथ्वी पर गिरता है। और फिर से नदियों की ओर जाते हैं, हमारी इच्छाएं और जुनून हमारे मन को उनके इंद्रिय विषयों की ओर छोड़ देते हैं, और फिर अधिक ताकत के साथ मन के समुद्र में लौट आते हैं।
🚩🌺जिस तरह समुद्र बहुत गहरा होता है और उसमें गिरने वाली कई चीजें उसकी गहराई में खो जाती हैं, उसी तरह हमारे इंद्रिय अनुभव का एक बहुत बड़ा हिस्सा हमारे दिमाग की गहराई में चला जाता है और कुछ समय के लिए भुला दिया जाता है, हालांकि यह अभी भी बना हुआ है अचेतन मन में.
*🚩🌺और जिस प्रकार समुद्र का सतही जल कभी शांत नहीं रहता, बल्कि जमीन की ओर बढ़ती हुई लहरों में एक-दूसरे से टकराता है, उसी प्रकार हमारे चेतन मन की इच्छाएं और जुनून एक-दूसरे से टकराते हैं और मन में तूफानी हलचल पैदा कर उसे अपनी ओर खींच लेते हैं। इंद्रिय-संसार का किनारा. और जिस प्रकार हमें उफनते समुद्र में स्थिर रूप से यात्रा करने के लिए एक बड़ी और उचित रूप से चलने वाली नाव की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार हमें मन की बढ़ती इच्छाओं पर काबू पाने के लिए अपने तर्क और इच्छा शक्ति के मजबूत वजन की आवश्यकता होती
🚩🌺मन की शक्ति, मनुष्य को श्रेष्ठता के शिखर पर पहुंचा सकती है
🚩🌺मनुष्य का मन वायु और प्रकाश की गति से भी अधिक गतिमान रहता है। उसमें भांति-भांति के विचार आते हैं। इनमें अच्छे विचार भी होते हैं और बुरे भी। वस्तुत: मनुष्य का जीवन मन के इन विचारों से ही संचालित रहता है। मानव का मन बहुत अशांत और चंचल प्रकृति का होता है। इस अशांति के मूल में मुख्य रूप से मनुष्य की मोह-माया ही होती है। हमारे ग्रंथों में उल्लिखित है कि मन ही मनुष्य को सांसारिक बंधनों में बांधता है और मन ही उन बंधनों से मुक्ति दिलाता है। मन के विचार ही हमें एक क्षण में श्रेष्ठता के शिखर पर पहुंचा देते हैं तो पल भर में हमें पतन की गहराइयों में भी धकेल देते हैं। ऐसे में अशांत एवं चंचल मन को स्थिर और नियंत्रण में रखना बहुत आवश्यक है।
🚩🌺जो लोग मन को नियंत्रित नहीं कर पाते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है। ऐसे में यह कहना उचित होगा कि मन की साधना से बड़ी कोई साधना नहीं। अंतर्मन से बड़ा कोई मार्गदर्शक नहीं। मनुष्य के मन में यदि दुर्बलता व्याप्त है तो वह कभी सफल नहीं हो सकता। दुर्बल मन वाला जन आसान काम करने में भी घबराता है। वहीं दृढ़ मन:स्थिति वाला व्यक्ति कठिन कार्यो को भी सहजता से करने की सामथ्र्य रखता है। इसलिए मन की शक्ति को बढ़ाने के लिए सदैव प्रयास करना चाहिए।
🚩🌺तन के साथ भी मन का अन्योन्याश्रय संबंध है। मानवीय देह स्थूल है मन सूक्ष्म। किसी बुरे से बुरे प्रसंग की ओर यदि मन रुचि लेने लगे तो वह कार्य परम प्रिय लगने लगता है और कितनी ही हानि उठाकर भी मनुष्य उसमें संलग्न रहता है। माना गया है कि मानसिक शक्ति शारीरिक शक्ति से श्रेष्ठ होती है। मन की शक्ति एक जिन्न की भांति होती है, जिसमें शक्ति तो अपार होती है, परंतु यदि उसे सकारात्मक मार्गदर्शन या दिशा न दिखाई गई तो वही व्यक्ति के पतन का कारण भी बन जाती है। वास्तव में जो मन की शक्ति के स्वामी होते हैं, उनके समक्ष ही संसार नतमस्तक होता है।
राम रक्षा स्तोत्र मंत्र
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे । सहस्त्रनाम ततुल्यं रामनाम वरानने ।।
सदैव प्रसन्न रहिये!!
जो प्राप्त है-पर्याप्त है!
भारत माता की जय
https://youtu.be/50WkhEJJqaQ
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