शारदीय नवरात्रि शुरू, जानिए घटस्थापना का चौघड़िया और अभिजीत मुहूर्त, पूजा- विधि और मंत्र
नवरात्रि में जो भी भक्त नौ दिनों तक व्रत रखकर मांं की पूजा- उपासना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं---
शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना करना मंगलदायक माना जाता है। क्योंकि घट यानि कि कलश में ब्रह्रा, विष्णु और भगवान शिव का वास होता है। इसलिए कलश स्थापना करने से इन तीनों भगवान की भी पूजा हो जाती है। वहीं अगर घटस्थापना के शुभ मुहूर्त की बात करें तो घट स्थापना के पंचांग में कई मुहूर्त दिए गए हैं, जो इस प्रकार हैं…
घटस्थापना का मुहूर्त क्या है?
शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना करना मंगलदायक माना जाता है। क्योंकि घट यानि कि कलश में ब्रह्रा, विष्णु और भगवान शिव का वास होता है। इसलिए कलश स्थापना करने से इन तीनों भगवान की भी पूजा हो जाती है। वहीं अगर घटस्थापना के शुभ मुहूर्त की बात करें तो घट स्थापना के पंचांग में कई मुहूर्त दिए गए हैं, जो इस प्रकार हैं…
नवरात्रि घटस्थापना 2024 | 3 अक्टूबर 2024, गुरुवार |
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 2024 | 06:15 AM से 07:22 AM |
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त 2024 | 11:46 AM से 12:33 PM |
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ | 03 अक्टूबर 2024 को 12:18 AM बजे |
प्रतिपदा तिथि समाप्त | 04 अक्टूबर 2024 को 02:58 AM बजे |
कन्या लग्न प्रारम्भ | 03 अक्टूबर 2024 को 06:15 AM बजे |
कन्या लग्न समाप्त | 03 अक्टूबर 2024 को 07:22 AM बजे |
घटस्थापना पूजन सामग्री
- चौड़े मुंह वाला मिट्टी का बर्तन
- पवित्र जगह की मिट्टी
- कलावा/मौली
- सुपारी
- कलश
- सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
- जटाओं वाला नारियल
- लाल रंग का कपड़ा
- फूल
- माला
- मिठाई
- दूर्वा (दूब घास)
- गंगाजल
- अक्षत
- आम या अशोक के पत्ते (पल्लव)
- सिंदूर
घटस्थापना की विधि
- घटस्थापना या कलश स्थापना के लिए एक चौड़े मुंह वाले मिट्टी के बर्तन में पवित्र स्थान से मिट्टी लाकर भर लें और फिर उसमें सप्तधान्य बो दें।
- फिर इस बर्तन के ऊपर कलश रखकर उसमें जल भर दें।
- फिर कलश पर कलावा बांध दें। साथ में टीका लगा दें।
- अब कलश के ऊपर आम या अशोक के पल्लव रखें।
- इसके बाद कलश के मुख पर जटाओं वाला नारियल लाल कपड़े में कलावे से लपेटकर
- कलश के ऊपर रख दें।
- इस बाद माता रानी के आह्वान करें।
- नवरात्रि के हर दिन माता रानी के साथ-साथ कलश की भी पूजा करें।
घटस्थापना के नियम
कलश स्थापना मंत्र
कानुपर दक्षिण में प्रसिद्ध बारा देवी माता का मंदिर स्थित है। पूरे साल यहां लोगों का जमघट लगा रहता है। नवरात्रि में इस मंदिर में भारी भीड़ होती है। इस मंदिर का इतिहास लगभग 1700 साल पुराना बताया जाता है। मंदिर के पुजारी दीपक बताते हैं कि, पिता से हुई अनबन और उनके कोप से बचने के लिए घर से एक साथ 12 सगी बहनें घर से भाग गईं थीं। सारी बहनें कानपुर के किदवई नगर में स्वत: मूर्ति बनकर स्थापित हो गईं। कई सालों के बाद यही 12 बहनें बारादेवी नाम से प्रसिद्ध हो गईं।
मां भवानी के इन 108 नाम जपें और पाएं समृद्धि
-सती, साध्वी, भवप्रीता, भवानी, भवमोचनी, आर्या, दुर्गा, जया, आद्या, त्रिनेत्रा, शूलधारिणी, पिनाकधारिणी, चित्रा, चण्डघण्टा, महातपा :, मन: , बुद्धि : मां दुर्गा का नाम है।
-अहंकारा, चित्तरूपा, चिता, चिति:, सर्वमन्त्रमयी, सत्ता, सत्यानन्दस्वरूपिणी, अनन्ता, भाविनी, भाव्या, भव्या, अभव्या, सदागति:, शाम्भवी, देवमाता, चिन्ता, रत्नप्रिया, सर्वविद्या के नाम से भी मां जानी जाती हैं।
-दक्षकन्या, दक्षयज्ञविनाशिनी, अपर्णा, अनेकवर्णा, पाटला, पाटलावती, पट्टाम्बरपरीधाना, कलमंजीररंजिनी, अमेयविक्रमा, क्रूरा, सुंदरी, सुरसुन्दरी, वनदुर्गा, मातंगी, मतंगमुनिपूजिता, ब्राह्मी, माहेश्वरी भी मां के नाम हैं।
-ऐन्द्री, कौमारी, वैष्णवी, चामुण्डा , वाराही, लक्ष्मी: , पुरुषाकृति:, विमला, उत्कर्षिणी, ज्ञाना, क्रिया, नित्या, बुद्धिदा, बहुला, बहुलप्रेमा, सर्ववाहनवाहना, निशुम्भशुम्भहननी भगवती का नाम है।
-महिषासुरमर्दिनी, मधुकैटभहन्त्री, चण्डमुण्डविनाशिनी, सर्वासुरविनाशा, सर्वदानवघातिनी, सर्वशास्त्रमयी, सत्या, सर्वास्त्रधारिणी, अनेकशस्त्रहस्ता, अनेकास्त्रधारिणी भगवती का नाम है।
-कुमारी, एककन्या, कैशोरी, युवती, यति:, अप्रौढा, प्रौढा, वृद्धमाता, बलप्रदा, महोदरी, मुक्तकेशी, घोररूपा, महाबला, अग्निज्वाला, रौद्रमुखी, कालरात्रि:, तपस्विनी, नारायणी, भद्रकाली नाम भी भगवती दुर्गा का है।
-विष्णुमाया, जलोदरी, शिवदूती, कराली, अनन्ता, परमेश्वरी, कात्यायनी, सावित्री, प्रत्यक्षा व ब्रह्मवादिनी नाम से भी भगवती की स्तुति होती है।
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मां भवानी के इन 108 नाम जपें और पाएं समृद्धि
-सती, साध्वी, भवप्रीता, भवानी, भवमोचनी, आर्या, दुर्गा, जया, आद्या, त्रिनेत्रा, शूलधारिणी, पिनाकधारिणी, चित्रा, चण्डघण्टा, महातपा :, मन: , बुद्धि : मां दुर्गा का नाम है।
-अहंकारा, चित्तरूपा, चिता, चिति:, सर्वमन्त्रमयी, सत्ता, सत्यानन्दस्वरूपिणी, अनन्ता, भाविनी, भाव्या, भव्या, अभव्या, सदागति:, शाम्भवी, देवमाता, चिन्ता, रत्नप्रिया, सर्वविद्या के नाम से भी मां जानी जाती हैं।
-दक्षकन्या, दक्षयज्ञविनाशिनी, अपर्णा, अनेकवर्णा, पाटला, पाटलावती, पट्टाम्बरपरीधाना, कलमंजीररंजिनी, अमेयविक्रमा, क्रूरा, सुंदरी, सुरसुन्दरी, वनदुर्गा, मातंगी, मतंगमुनिपूजिता, ब्राह्मी, माहेश्वरी भी मां के नाम हैं।
-ऐन्द्री, कौमारी, वैष्णवी, चामुण्डा , वाराही, लक्ष्मी: , पुरुषाकृति:, विमला, उत्कर्षिणी, ज्ञाना, क्रिया, नित्या, बुद्धिदा, बहुला, बहुलप्रेमा, सर्ववाहनवाहना, निशुम्भशुम्भहननी भगवती का नाम है।
-महिषासुरमर्दिनी, मधुकैटभहन्त्री, चण्डमुण्डविनाशिनी, सर्वासुरविनाशा, सर्वदानवघातिनी, सर्वशास्त्रमयी, सत्या, सर्वास्त्रधारिणी, अनेकशस्त्रहस्ता, अनेकास्त्रधारिणी भगवती का नाम है।
-कुमारी, एककन्या, कैशोरी, युवती, यति:, अप्रौढा, प्रौढा, वृद्धमाता, बलप्रदा, महोदरी, मुक्तकेशी, घोररूपा, महाबला, अग्निज्वाला, रौद्रमुखी, कालरात्रि:, तपस्विनी, नारायणी, भद्रकाली नाम भी भगवती दुर्गा का है।
-विष्णुमाया, जलोदरी, शिवदूती, कराली, अनन्ता, परमेश्वरी, कात्यायनी, सावित्री, प्रत्यक्षा व ब्रह्मवादिनी नाम से भी भगवती की स्तुति होती है।
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