फीलिंग्स ना समझने वाले पति के साथ बढ़ती हैं दूरियां, मैरिज एंड रिलेशनशिप एक्सपर्ट ने बताई इमोशन्ली Absent हस्बैंड की 5 आदतें
फीलिंग्स ना समझने वाले पति के साथ बढ़ती हैं दूरियां, मैरिज एंड रिलेशनशिप एक्सपर्ट ने बताई इमोशन्ली Absent हस्बैंड की 5 आदतें
पति के आपकी भावनाओं को ना समझने के पीछे हो सकता है उनका इमोशनली एब्सेंट होना. यहां जानिए पति कि किन आदतों से पता चलता है कि वे सचमुच इमोशनली एब्सेंट हैं.
शादी से पहले और शादी के बाद पार्टनर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं. अक्सर ही यह देखा जाता है कि पति शादी के बाद उतना समय नहीं देते जितना वे शादी के पहले देते थे या फिर रिलेशनशिप के दौरान देते हैं. वहीं, अक्सर ही पत्नी अपनी भावनाएं पति (Husband) से कहने की कोशिश करती है तो पति इन बातों, इन फीलिंग्स को नजरअंदाज करने लगते हैं या फिर कह देते हैं कि तुम ओवर रिएक्ट कर रही हो. पत्नी अक्सर ही यह समझ नहीं पाती कि पत्नी के इस व्यवहार की क्या वजह होती है. पत्नी खुद को ही सवालों के घेरने में डालना शुरू कर देती है जबकि पति का यह बिहेवियर उसके इमोशनली एब्सेंट होने या इमोशनली अनअवेलेबल होने के चलते हो सकता है. ऐसे में मैरिज और रिलेशनशिप कोच (Relationship Coach) आलोक से जानिए पति अगर इमोशनली एब्सेंट होता है तो उसमें कौनसे साइन्स नजर आते हैं या उसकी कौनसी आदतें बताती हैं कि वे इमोशवली अवेलेबल नहीं हैं. साथ ही जानिए कि पति इमोशनली एब्सेंट (Emotionally Absent) हो तो पत्नी को क्या करना चाहिए.
कौन से संकेत बताते हैं कि पति इमोशनली एब्सेंट हैं ।
Which Signs That Your Husband Is Emotionally Absent
हमेशा फोन में रहना
पति का हमेशा अपने फोन में लगे रहना और आपसे बात करने के लिए प्रजेंट ना रहना इमोशनली एब्सेंट होने का साइन हो सकता है. पत्नी पति से बात करने की जद्दोजहद में रहती है लेकिन पति उसे इग्नोर करके अपने फोन में रील्स स्क्रॉल करने में ज्यादा व्यस्त रहता है.
फीलिंग्स को इग्नोर करनाअगर आपका पति आपकी फीलिंग्स (Feeling) को इग्नोर करता है और आपको उनके साथ होकर भी अकेला महसूस होता है तो इसका मतलब है कि आपके पति इमोशनली एब्सेंट हैं. पत्नी अगर अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस करने की कोशिश करती है तो पति उन फीलिंग्स को नकार देते हैं.
आपके बारे में नहीं पूछतेइमोशनली एब्सेंट पति आपसे आपके बारे में पूछने से ज्यादा सिर्फ अपनी बात करते हैं. उनका सेंटर ऑफ अंटेंशन वो खुद होते हैं. उनकी लाइफ में क्या उतार-चढ़ाव हैं या क्या अच्छा-बुरा हो रहा है उन्हें सिर्फ उसी से फर्क पड़ता है. वह आपसे आपके बारे में पूछना जरूरी नहीं समझते हैं.
गहरी बातों के बजाए सिर्फ सतही बातेंपति पत्नी का रिश्ता ऐसा होता है जिसमें वे एकदूसरे से अपने मन की हर बात को कह सकते हैं. लेकिन, अगर आपका पति अपने मन की बातें आपसे नहीं करते या आपकी बातें नहीं सुनते और उनसे आपकी किसी तरह की गहराई की नहीं बल्कि सिर्फ ऊपरी या कहें सतही बातें होती हैं तो यह भी इमोशनली अनअवेलेबल या इमोशनली एब्सेंट होने का चिन्ह है.
- साथ होकर ज्यादा अकेला लगता है
- इस बात को एक्सेप्ट करें कि आपके पति इमोशनली एब्सेंट हैं और उनके बिहेवियर के लिए खुद को ब्लेम करना या दोष देना बंद करें.
- अपनी भावनाओं को साफ शब्दों में कहें और उन्हें ब्लेम करने के बजाय कहें कि आप अकेला महसूस कर रही हैं या आपको तकलीफ हो रही है. इससे पति को ऐसा नहीं लगेगा कि आप उनसे शिकायत कर रही है.
- इमोशनल बाउंडरीज (Emotional Boundaries) सेट करें. पति को बताएं कि क्या आप इस रिश्ते में एक्सेप्ट करेंगी और क्या नहीं. इससे आपकी जरूरतों और परेशानियों को पति बेहतर तरह से समझ पाएंगे.
- सेल्फ केयर पर ध्यान देना भी जरूरी है. कई बार पत्नी पति के व्यवहार से इतनी परेशान हो जाती है कि खुद का ध्यान रखना, खुश रहना या उन चीजों को करना बंद कर देती है जिससे उसे अच्छा महसूस होता है. इससे सिर्फ पति-पत्नी की दूरियां ही गहरी होती हैं.
- पार्टनर को फिक्स करने की कोशिश ना करें बल्कि उन्हें समझने की कोशिश करें और अपनी बात समझाने की कोशिश करें. साथ ही आपको जिन बातों से तकलीफ होती है वो बताएं और इमोशनल बैरियर्स को मजबूत करें.
आप खुद के साथ अकेले होने के बजाय अपने इमोशनली एब्सेंट पति के साथ होकर खुद को ज्यादा अकेला महसूस करती हैं. जबकि होना यह चाहिए कि आप पति के साथ खुद को पूरा महसूस करें.
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दूसरों के सामने पार्टनर का मजाक बनाना अपने पार्टनर यानी पति या पत्नी का दूसरे लोगों के सामने मजाक बनाना एक बड़ी गलती होती है. इससे पार्टनर का आपसी विश्वास डगमगाता है और मन पर चोट लगती है सो अलग. अगर आपको अपने पार्टनर की कोई चीज बुरी लगती है या उसकी किसी हरकत पर हंसी आती है तो आप अकेले में भी उसे समझा सकते हैं. दूसरे लोगों के साथ मिलकर मजाक बनाने पर कई बार पार्टनर इतना बुरा महसूस करते हैं कि फिर हमेशा के लिए यह बात बुरी याद के तौर पर उनके जहन में बस जाती है.
ओवर रिएक्टिंग कहकर एकदूसरे की फीलिंग को नजरअंदाज करना अगर आपका पार्टनर आपसे अपनी फीलिंग्स की बात कर रहा है, अगर पार्टनर बता रहा है कि वह किसी बात को लेकर बुरा फील कर रहा है या उसे आपकी किसी बात से परेशानी है, तो पार्टनर की इन फीलिंग्स को ओवर रिएक्टिंग का नाम ना दें. यह ना कहें कि आप ओवर रिएक्ट कर रहे हैं. इसके बजाय बात को समझने की कोशिश करें और बैठकर सुनें कि पार्टनर को क्या बुरा लग रहा है या क्या ही जिससे उन्हें तकलीफ हो रही है.
बातचीत से ज्यादा स्क्रीन पर ध्यान देना आजकल पति-पत्नी एकसाथ होकर भी एकसाथ नहीं होते हैं. व्यक्ति इतना ध्यान अपने पार्टनर पर नहीं देता जितना वो अपनी स्क्रीन पर देता है. आपको अगर सोशल मीडिया (Social Media) स्क्रॉल करना ही है तो तब करें जब आप साथ ना हों या फिर जब आप बैठकर बात कर चुके हों और कुछ देर ही फोन को हाथ में लेकर बैठे हों. हर समय फोन पर लगे रहना और अपने पति या पत्नी के साथ बात ना करना या उन्हें समय ना देना सही नहीं है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. ये एक्सपर्ट के अपने विचार हैं, B.I.News (www.newsbin24.com) इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
अपने पार्टनर यानी पति या पत्नी का दूसरे लोगों के सामने मजाक बनाना एक बड़ी गलती होती है. इससे पार्टनर का आपसी विश्वास डगमगाता है और मन पर चोट लगती है सो अलग. अगर आपको अपने पार्टनर की कोई चीज बुरी लगती है या उसकी किसी हरकत पर हंसी आती है तो आप अकेले में भी उसे समझा सकते हैं. दूसरे लोगों के साथ मिलकर मजाक बनाने पर कई बार पार्टनर इतना बुरा महसूस करते हैं कि फिर हमेशा के लिए यह बात बुरी याद के तौर पर उनके जहन में बस जाती है.
ओवर रिएक्टिंग कहकर एकदूसरे की फीलिंग को नजरअंदाज करनाअगर आपका पार्टनर आपसे अपनी फीलिंग्स की बात कर रहा है, अगर पार्टनर बता रहा है कि वह किसी बात को लेकर बुरा फील कर रहा है या उसे आपकी किसी बात से परेशानी है, तो पार्टनर की इन फीलिंग्स को ओवर रिएक्टिंग का नाम ना दें. यह ना कहें कि आप ओवर रिएक्ट कर रहे हैं. इसके बजाय बात को समझने की कोशिश करें और बैठकर सुनें कि पार्टनर को क्या बुरा लग रहा है या क्या ही जिससे उन्हें तकलीफ हो रही है.
बातचीत से ज्यादा स्क्रीन पर ध्यान देनाआजकल पति-पत्नी एकसाथ होकर भी एकसाथ नहीं होते हैं. व्यक्ति इतना ध्यान अपने पार्टनर पर नहीं देता जितना वो अपनी स्क्रीन पर देता है. आपको अगर सोशल मीडिया (Social Media) स्क्रॉल करना ही है तो तब करें जब आप साथ ना हों या फिर जब आप बैठकर बात कर चुके हों और कुछ देर ही फोन को हाथ में लेकर बैठे हों. हर समय फोन पर लगे रहना और अपने पति या पत्नी के साथ बात ना करना या उन्हें समय ना देना सही नहीं है.