तांडव मचा देने वाले ब्रह्मोस की कहानी! जानिए भारत की सबसे तेज क्रूज मिसाइल क्यों है खास
आखिर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल पाकिस्तान के खिलाफ एक प्रभावी, सटीक और विश्वसनीय हथियार क्यों साबित हुई है, यहां समझिए.
पाकिस्तान की जमीं से फलते-फूलते आतंकवाद को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' (Operation sindoor) के साथ जवाब दिया है. और इस जवाब को शानदार और जोरदार आवाज देने में मदद की है भारत की ब्रह्मोस मिसाइल ने. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल एक प्रभावी, सटीक और विश्वसनीय हथियार साबित हुई है. भारत के एयरफोर्स के जवानों को इसके उपयोग के लिए अच्छी तरह से ट्रेनिंग दी गई थी, और इसने पाकिस्तान के साथ संघर्ष में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. चलिए आपको बताते हैं कि ब्रह्मोस मिसाइल क्या है, इसे भारत ने खुद बनाया है या किसी के सहयोग से बनाया है. ब्रह्मोस की कीमत क्या है.
ब्रह्मोस मिसाइल क्या है?
ब्रह्मोस एक यूनिवर्सल सटीक-स्ट्राइक मिसाइल है जिसे जमीन, समुद्र और हवाई प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है. यानी आपको किसी दूर के टारगेट पर एकदम सटीकता से निशाना लगाना है तो आप ब्रह्मोस मिसाइल को मैदान में उतार सकते हैं. इसे हर मौसम की स्थितियों में दिन-रात काम करने के लिए डिजाइन किया गया है.
ब्रह्मोस क्यों है खास?
खास बात है कि ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम अभी वर्तमान में भारत का सबसे तेज क्रूज मिसाइल है. पहली मिसाइल का परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था और तब से, इसे और एडवांस बनाया जा रहा है. ब्रह्मोस मिसाइल ऐसा पेलोड रॉकेट है जो मानवरहित है. लाइवमिंट की रिपोर्ट के अनुसार यह सुपरसोनिक मिसाइल मैक 3 की रफ्तार पर उड़ान भर सकती है और इसकी रेंज 290 किलोमीटर (इसके उन्नत वेरिएंट में 500 या 800 किलोमीटर तक) तक है. यह 200 से 300 किलोग्राम उच्च विस्फोटक हथियार ढ़ोने में भी सक्षम है. यह 15 किमी तक की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है और जमीन से 10 मीटर की ऊंचाई तक वार कर सकता है.
इसे "फायर एंड फॉरगेट" सिद्धांत का पालन करने के लिए डिजाइन किया गया है. एक बार लॉन्च होने के बाद इसे किसी और गाइडेंस या इनपुट की आवश्यकता नहीं होती है. इस मिसाइल का रडार सिग्नेचर बहुत कम है और इसकी तेज रफ्तार की वजह से इसे रोकना विशेष रूप से कठिन होती है.
ब्रह्मोस को किसने बनाया है?
इस मिसाइल सिस्टम को भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में विकसित किया गया था. इस संयुक्त उद्यम को फरवरी 1998 में हस्ताक्षरित एक अंतर सरकारी समझौते के माध्यम से स्थापित किया गया था.
इसका नाम दो नदियों - भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा - को मिलाकर बना है जो भारत-रूस साझेदारी का प्रतीक है.
ब्रह्मोस ‘काम' पर कब लगा?
जैसा कि आपको पहले बताया ब्रह्मोस का पहली बार परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था. इसके बाद भारतीय नौसेना ने 2005 में INS राजपूत पर अपना पहला ब्रह्मोस सिस्टम शामिल किया था. भारतीय सेना ने 2007 में अपनी रेजिमेंटों में इसे शामिल किया. वायु सेना ने बाद में सुखोई-30 30MKI विमान के साथ ब्रह्मोस का एक एयर-लॉन्च वर्जन पेश किया.
द इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक ब्रह्मोस के दो वर्जन काम पर लगे हुए हैं. प्राइमरी वर्जन में हैं: ब्रह्मोस ब्लॉक I और ब्रह्मोस एयर-लॉन्च. जबकि तीन और उन्नत संस्करण पर काम चल रहा है.
ब्रह्मोस बनाने में खर्चा कितना आता है.?
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