आइये जानिए कि आधार किसे सत्यापित करता है और किसे नहीं, इसे कहां माना जाता है और कहां नहीं
बिहार विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय चुनाव आयोग द्वारा बनाई जा रही चुनावी सूची के दौरान आधार को लेकर बहुत कंफ्यूजन है. हम आपको बताते हैं कि आधार किस चीज का प्रमाण है किसका नहीं.
- आधार पहचान और निवास का प्रमाण है
- आधार नागरिकता, आय, जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है
- आधार बैंक खाता, सिम कार्ड, पासपोर्ट में मान्य है
आधार कार्ड को लेकर अक्सर लोगों में भ्रम रहता है कि ये किस चीज़ का प्रमाण है और किसका नहीं. कहां इसका इस्तेमाल हो सकता है और कहां नहीं. दरअसल आधार ऐसा दस्तावेज है, जो भारत के हर नागरिक के लिए अब जरूरी जैसा तो जरूर हो गया है कि लेकिन सरकार हर जगह इसके इस्तेमाल को स्वीकार नहीं करती. इसे कुछ खास कामों में दस्तावेज के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
हम आपको बताएंगे कि आधार कार्ड किन बातों को सत्यापित करता है और किन बातों को नहीं. इसे किन कामों में स्वीकार किया जाता है और कहां नहीं. आधार न केवल एक पहचान दस्तावेज़ है बल्कि भारत के प्रशासनिक ढांचे में सबसे बड़े डिजिटल पहचान प्रोजेक्ट्स में एक है.
28 जनवरी 2009 को तत्कालीन यूपीए सरकार ने यूनीक आइडेंटीफिकेशन अथारिटी ऑफ इंडिया यानि UIDAI का गठन किया. इसका जिम्मा नंदन नीलेकणी को दिया गया. डिजिटल यूनिक पहचान संख्या का आइडिया नंदन नीलेकणी और उनकी टीम ने सरकार को दिया था. उन्होंने ही इसका डिजिटल केवाईसी, बायोमेट्रिक्स और ऑनलाइन वेरिफिकेशन वाला डिज़ाइन तैयार किया.
किसने दिया ‘आधार’ नाम
UIDAI के प्रोजेक्ट का शुरुआती नाम था — ‘UID Project’ या ‘Unique Identification Number’. इस कार्ड का नाम ‘आधार’ रखने का सुझाव तत्कालीन UIDAI चीफ नंदन निलेकणी और उनकी कोर टीम से आया. ‘आधार’ नाम की मंजूरी योजना आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय की सहमति से हुई थी. इस नाम का मतलब था, “एक ऐसी बुनियाद (आधार) जिस पर हर नागरिक की पहचान खड़ी हो.”
किसे सबसे पहले जारी हुआ आधार
29 सितंबर 2010 को महाराष्ट्र के नंदूरबार जिले में रंजना सोनावणे नाम की महिला को पहला आधार नंबर जारी हुआ. देश में अब तक 140 करोड़ से ज़्यादा आधार जारी हो चुके हैं यानी ये करीब करीब भारत की पूरी आबादी को कवर करता है.
आधार को किस लिए बनाया गया
सरकार ने जब आधार शुरू किया, तो इसके पीछे कई बड़े उद्देश्य थे,
– सभी भारतीय निवासियों को एक अद्वितीय डिजिटल पहचान देना, ताकि कोई भी व्यक्ति अपने पहचान दस्तावेज़ की कमी के कारण सरकारी सेवाओं से वंचित न रहे.
– सरकारी योजनाओं में फर्जी लाभार्थियों पर रोक लगाना.
– डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के ज़रिए सीधे आधार लिंक बैंक खातों में सब्सिडी, स्कॉलरशिप, पेंशन, गैस सब्सिडी भेजना. इससे बिचौलियों और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना.
– आधुनिक और सटीक जनसांख्यिकीय डेटा तैयार करना, जिससे सरकार योजनाएं सही आंकड़ों के आधार पर बना सके.
आधार एक सशक्त डिजिटल पहचान प्लेटफॉर्म तो बना है, लेकिन डेटा सुरक्षा और संवैधानिक अधिकारों के लिहाज़ से अभी इसे कसौटी पर खरा उतरने के लिए और मजबूत करना जरूरी है.
आधार किन बातों को सत्यापित करता है
आधार कार्ड केवल दो चीज़ों का प्रमाणीकरण करता है.
– व्यक्ति की पहचान – यानी आपका नाम, फ़ोटो और आपके बायोमेट्रिक (उंगलियों के निशान, आंखों की स्कैन).
– आपका निवास – जो उस समय आपने दस्तावेज़ के साथ UIDAI को दिया था.
यह बस ये बताता है कि ये व्यक्ति इस नाम और पते के साथ UIDAI के रिकॉर्ड में दर्ज है. उसके बायोमेट्रिक्स से इसका मिलान हो सकता है.
आधार किन बातों का सत्यापन नहीं करता
1. नागरिकता – आधार किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिक प्रमाणित नहीं करता. यानी आपके पास आधार है, इसका मतलब यह नहीं कि आप भारत के नागरिक हैं.
2. आय – जन्मतिथि का प्रमाण – आधार में दी गई जन्मतिथि डिक्लेयर्ड या वेरिफाइड होती है, लेकिन यह जन्म प्रमाणपत्र या 10वीं की मार्कशीट की तरह जन्मतिथि का अंतिम और वैध प्रमाण नहीं है.
3. इसी तरह ये ना तो जाति प्रमाण है और ना धर्म का प्रमाण. ये वैवाहिक स्थिति को बताने वाला दस्तावेज भी नहीं है.
सरकार आधार को किन मामलों में मानती है
1. पहचान प्रमाण (ID Proof) के तौर पर
– बैंक खाता खोलने में
– सिम कार्ड लेने में
– पासपोर्ट बनवाने में (सहायक दस्तावेज़)
– पेंशन, स्कॉलरशिप, राशन कार्ड, गैस सब्सिडी आदि के लिए पहचान व सत्यापन में
– कोविड वैक्सीन रजिस्ट्रेशन
– PAN से लिंक करने में
– बैंक खाता खोलने में
– सिम कार्ड लेने में
– पासपोर्ट बनवाने में (सहायक दस्तावेज़)
– पेंशन, स्कॉलरशिप, राशन कार्ड, गैस सब्सिडी आदि के लिए पहचान व सत्यापन में
– कोविड वैक्सीन रजिस्ट्रेशन
– PAN से लिंक करने में
2. पते के प्रमाण के तौर पर
– बैंकिंग, सरकारी योजनाओं, सिम कार्ड, स्कूल एडमिशन वगैरह में
– बैंकिंग, सरकारी योजनाओं, सिम कार्ड, स्कूल एडमिशन वगैरह में
सरकार किन मामलों में आधार को नहीं मानती
1. नागरिकता प्रमाण के रूप में – पासपोर्ट बनवाने के लिए नागरिकता के प्रमाण में जरूरी नहीं माना जाता.
– NRC या किसी भी नागरिकता रजिस्ट्रेशन में आधार अपने आप नागरिकता का सबूत नहीं।
– NRC या किसी भी नागरिकता रजिस्ट्रेशन में आधार अपने आप नागरिकता का सबूत नहीं।
2. जन्मतिथि का कानूनी प्रमाण- कोर्ट, सरकारी नौकरी या पेंशन में जन्मतिथि का प्रमाण जन्म प्रमाणपत्र या 10वीं की मार्कशीट ही मान्य होती है.
3. आय प्रमाण – सरकारी सब्सिडी या स्कॉलरशिप में भी अलग से आय प्रमाण पत्र लगता है. आधार में आपकी इनकम नहीं जुड़ी होती
4. जाति प्रमाण – SC/ST/OBC कोटे में नौकरी या एडमिशन के लिए अलग जाति प्रमाणपत्र की जरूरत होती है. आधार में जाति नहीं लिखी जाती.
3. आय प्रमाण – सरकारी सब्सिडी या स्कॉलरशिप में भी अलग से आय प्रमाण पत्र लगता है. आधार में आपकी इनकम नहीं जुड़ी होती
4. जाति प्रमाण – SC/ST/OBC कोटे में नौकरी या एडमिशन के लिए अलग जाति प्रमाणपत्र की जरूरत होती है. आधार में जाति नहीं लिखी जाती.
UIDAI खुद भी कहता है कि आधार सिर्फ पहचान और पता का प्रमाण है, इससे नागरिकता सिद्ध नहीं होती. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के फैसले में भी कहा था कि आधार केवल पहचान का दस्तावेज़ है, नागरिकता नहीं.
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