स्वेज नहर बाधित होने से भंवर में फंसा अलीगढ़ का निर्यात
इस्राइल और ईरान की तनातनी से स्वेज नहर के रास्ते से होने वाला निर्यात भंवर में फंस गया है। स्वेज नहर मार्ग सबसे छोटा है, लिहाजा सबसे सस्ता भी। अलीगढ़ से हर अजय पटेल रे-इंटरनेशनल । महीने लगभग 150 करोड़ रुपये का माल तकरीबन 700 कंटेनरों के जरिये इसी रास्ते से भेजा जाता है। सैकड़ों कंटेनर फंस गए हैं। अलीगढ़ के कारोबारी इस बात से परेशान हैं। उन्हें यह भी नहीं मालूम कि यह स्थिति कब तक बनी रहेगी। उनका कहना है कि अगर ऐसी स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो निर्यात की कमर टूट जाएगी। वैकल्पिक रास्ता तो है लेकिन उससे निर्यात महंगा पड़ेगा। तालानगरी स्थित रे-इंटरनेशनल के अजय पटेल कहते हैं कि भारत से पश्चिमी देशों के लिए भेजे जाने वाले सामान का सबसे छोटा रास्ता बाया स्वेज नहर ही है। मौजूदा हालात से रास्ते में सैकड़ों कंटेनर फंस गए हैं। ईरान-इस्राइल के बीच युद्ध जैसे हालात होने की वजह से अब यहां से जाने वाला माल रोक दिया गया है। जिसे कुछ दिन बाद ही भेजा जाएगा। अगर स्वेज नहर के रास्ते माल का जाना बंद हुआ तो दक्षिण अफ्रीका के रास्ते से माल बाकी दुनिया को भेजा जाएगा। दक्षिण अफ्रीका के रास्ते से माल भेजने में समय और भाड़ा दोनों ज्यादा लगेंगे। समय लगभग एक सप्ताह और भाड़ा लगभग 40 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। जिसका असर निर्यात पर पड़ेगा। पहले रूस- यूक्रेन, इसके बाद इस्त्राइल-फलस्तीन और अब इस्राइल और ईरान युद्ध के बीच मिसाइलों के हमलों से उपजी परिस्थिति से बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।मौजूदा हालात से सोना भी हो रहा महंगा पूरी दुनिया में युद्ध के खतरों के कारण निर्यात सहित अन्य कारोबार प्रभावित हुए हैं। इसलिए लगातार पूरी दुनिया में मैं सोने की तरफ निवेश बढ़ा है। जिससे सोना लगातार महंगा हो रहा है, क्योंकि अनिश्चितता के माहौल में दुनिया भर में सोने में निवेश सबसे सुरक्षित माना जाता है।
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