127 साल बाद बंटवारा, गोदरेज हाउस अब दो हिस्सों में बंटा

 


127 साल बाद बंटवारा, गोदरेज हाउस अब दो हिस्सों में बंटा


गोदरेज परिवार में 127 साल बाद बंटवारा, जानें ‘Godrej’ ब्रांड बनने के पीछे की कहानी127 साल पुराने गोदरेज फैमिली अब दो हिस्सों में बंटा

◆ एक हिस्सा 82 साल के आदि गोदरेज और उनके 73 साल के भाई नादिर को मिलेगा

◆ दूसरी तरफ इनके चचेरे भाई-बहन 75 साल के जमशेद और 74 साल की स्मिता हैं

◆ आदि के बेटे पिरोजशा गोदरेज इंडस्ट्रीज ग्रुप के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरपर्सन होंगे

◆ अगस्त 2026 में चेयरपर्सन के रूप में नादिर गोदरेज की जगह लेंगे

◆ आदि गोदरेज और उनके भाई नादिर के हिस्से में गोदरेज इंडस्ट्रीज आई है

◆ जमशेद और स्मिता को नॉन-लिस्टेड कंपनी गोदरेज एंड बॉयस का मालिकाना हक मिलेगा


ताले से शुरू हुआ कारोबार आज साबुन से लेकर अंतरिक्ष तक पहुंचा, ऐसा रहा 127 साल पुराने गोदरेज का सफर

गोदरेज कंपनी के उत्पादों का बोलबाला आज हर कहीं है। गोदरेज हाउस दुनिया के 50 से अधिक देशों में व्यापार करता है। इसके संस्थापक अर्देशिर गोदरेज है जिन्होंने वकालत छोड़कर ताला बनाना शुरू किया है। ताले के बिजनेस में सफलता पाने के बाद इन्होंने कई और सेक्टर में अपना बिजनेस शुरू किया। 

हमने कभी न कभी गोदरेज के किसी न किसी उत्पाद को खरीदा या फिर उसका प्रचार देखा होगा। आज दुनिया में गोदरेज का कारोबार काफी मशहूर है। ताले, रियल एस्टेट, केमिकल,फर्नीचर, जनरल और हेवी इंजीनियरिंग, होम एवं पर्सनल केयर, इन्फ्रा-लॉजिस्टिक, पावर से लेकर एनर्जी तक गोदरेज का व्यापार फैला हुआ है।

देश के इतने बड़े व्यापार करने वाला गोदरेज परिवार एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, गोदरेज के बंटवारे पर परिवार द्वारा मंजूरी मिल गई है। आइए, जानते हैं कि विश्व में जानेमाने गोदरेज परिवार की शुरुआत कैसे हुई थी।

गोदरेज का सफर

गोदरेज हाउस की  स्थापना अर्देशिर गोदरेज ने की। वह पेशे से वकील थे, लेकिन उन्होंने वर्ष 1897  के लगभग वकालत छोड़कर ताला बनाने का कारोबार प्रारम्भ किया था। इससे पहले उन्होंने सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट का कारोबार शुरू किया था जो फेल हो गया। 19वीं सदी में भारत में विदेशों से ताले आते थे। इन तालों में एक स्प्रिंग होती थी जो टूट जाती थी। उस कमी को पहचानने के बाद अर्देशिर गोदरेज ने ताला बनाना भारत में शुरू किया था। उनके द्वारा बनाए गए तालों की खासियत यह थी कि यह विदेशों से आने वाले ताले से सस्ता होता था और मजबूत भी होता है। ताले के बिजनेस में तेजी आने के बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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